Musalsal bhaagti zindagi mein...
मुसलसल भागती ज़िंदगी में ....
aehsaan faraamosh sa din..
अहसान -फ़रामोश सा दिन
.
tajarbon ko jab..
तजुर्बो को जब,
shaam ki thandi hatheli pe rakhta hai...
शाम की ठंडी हथेली पर रखता है......
zehan ki jeib se .
ज़ेहन की जेब से,
kuch tassavvur farsh pe bichaata hoon....
कुछ तसव्वुर फ़र्श पर बिछाता हूँ
fursat ki chaadar kheenchkar...
फ़ुरसत की चादर खींचकर..
uske tale pair phailaata hoon....
उसके तले पैर फैलाता हूँ
ek nazm girebaan pakad ke mera...
एक नज़्म गिरेबा पकड़ के मेरा....
pata poochti hai mujhse...
पता पूछती है मुझसे
"Bata to
"बता तो
tu kahaan tha?".....
तू कहाँ था?" ........
(Dr. Anurag)
मुसलसल भागती ज़िंदगी में ....
aehsaan faraamosh sa din..
अहसान -फ़रामोश सा दिन
.
tajarbon ko jab..
तजुर्बो को जब,
shaam ki thandi hatheli pe rakhta hai...
शाम की ठंडी हथेली पर रखता है......
zehan ki jeib se .
ज़ेहन की जेब से,
kuch tassavvur farsh pe bichaata hoon....
कुछ तसव्वुर फ़र्श पर बिछाता हूँ
fursat ki chaadar kheenchkar...
फ़ुरसत की चादर खींचकर..
uske tale pair phailaata hoon....
उसके तले पैर फैलाता हूँ
ek nazm girebaan pakad ke mera...
एक नज़्म गिरेबा पकड़ के मेरा....
pata poochti hai mujhse...
पता पूछती है मुझसे
"Bata to
"बता तो
tu kahaan tha?".....
तू कहाँ था?" ........
(Dr. Anurag)
No comments:
Post a Comment
Plz add your comment with your name not as "Anonymous"