magar hum doosron ko raund kar uuncha nahi hote.....
1. शेर का शाब्दिक अर्थ (Literal Meaning)
| टुकड़ा (Phrase) | शाब्दिक मतलब (Literal Meaning) |
| तमन्ना सर-बलंदी की हमें भी तंग करती है, | ऊँचा उठने की इच्छा (सर-बलंदी, यानी ऊँचाई, तरक्की) हमें भी परेशान (तंग) करती है, |
| मगर हम दूसरों को रौंद कर ऊँचा नहीं होते। | लेकिन हम दूसरों को कुचल कर (रौंद कर) ऊँचाई हासिल नहीं करते। |
2. शेर का निहितार्थ (Deeper Meaning and Philosophy)
यह शेर मनुष्य की महत्वाकांक्षा (Ambition) और नैतिक सीमा (Ethical Boundary) के बीच के संघर्ष को दर्शाता है:
'तमन्ना सर-बलंदी की': यह स्वीकारोक्ति है कि शायर भी बाक़ी इंसानों की तरह सफलता, सम्मान और ऊँचाई हासिल करना चाहता है। यह इच्छा उन्हें बेचैन (तंग) करती है और उन्हें मेहनत करने के लिए प्रेरित करती है। यहाँ शायर अपनी भावनाओं को छिपाता नहीं है।
'दूसरों को रौंद कर ऊँचा नहीं होते': यह शेर का मुख्य विचार है और शायर के मज़बूत चरित्र को दर्शाता है।
'रौंदना' का अर्थ है: किसी को नुकसान पहुँचाना, किसी की तरक्की रोकना, किसी का हक छीनना, या अनैतिक तरीकों का इस्तेमाल करके खुद आगे बढ़ना।
शायर दृढ़ता से कहता है कि उसकी महत्वाकांक्षा (Ambition) कितनी भी बड़ी क्यों न हो, वह अपनी सफलता के लिए दूसरों की कीमत पर समझौता नहीं करेगा। वह अनैतिक सीढ़ी का इस्तेमाल नहीं करेगा।
3. प्रमुख संदेश (Main Message)
इस शेर का प्रमुख संदेश नैतिकता के साथ सफलता (Success with Ethics) है:
शुद्ध महत्वाकांक्षा: महत्वाकांक्षी होना ग़लत नहीं है, लेकिन महत्वाकांक्षा को पूरा करने का तरीका साफ और नैतिक होना चाहिए।
आत्म-सम्मान: यह आत्म-सम्मान (Self-Respect) की भावना को दर्शाता है कि व्यक्ति ऊँचाई हासिल करने के लिए दूसरों के प्रति दयालुता और न्याय के सिद्धांतों से समझौता नहीं करेगा।
कर्म की पवित्रता: सफलता तभी मायने रखती है जब उसे नेकनीयती और ईमानदारी से हासिल किया जाए।
4. शायर की जानकारी
यह शेर मशहूर शायर वसीम बरेलवी (Waseem Barelvi) की ग़ज़ल से लिया गया है। वसीम बरेलवी अपनी ग़ज़लों में साफ़, सरल और मानवीय मूल्यों पर आधारित बातें कहने के लिए बहुत प्रसिद्ध हैं।

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