Thursday, March 01, 2012

आँसुओं की मार्केटिंग


घर के सारे  कामों  से निवृत होकर अख़बार पढ़ने बैठी तो बाहर से आवाज़ सुनाई दी ,आंसू ले लो आंसू ......... मैं उस आवाज को ध्यान से सुनने लगी ये क्या चीज़ है? शायद मुझे बराबर शब्द समझ नही आ रहे थे फ़िर आवाज थोडी पास में आई और उसने फ़िर से वही दोहराया तब मुझे स्पष्ट समझ में आया वो आंसू बेचने वाला ही था|
मै उत्सुकतावश बाहर आई अभी तक सब्जी वाले .अख़बार वाले ,दूध वाले .झाडू बेचने वाले, आचार ,पापड़ ,बड़ी बेचने वाले चूड़ी बेचने वाले, यहाँ तक क़ी हर तीसरे दिन बडे बडे कारपेट बेचने वाले आते रहते हैं ! मुझे समझ नही आता कि इतने छोटे -छोटे घरो में इतने बडे बडे कारपेट कौन खरीदता है? और वो भी इतने मंहगे ?
भाई मै तो फेरीवाले  से कभी १०० रु से ज्यादा का सामान नही खरीदती!
हां पर ये मेरी सोच है, शायद लोग खरीदते होगे ?तभी तो बेचने आते है या फ़िर उनके रोज रोज आने से लोग खरीदने पर मजबूर हो जाते है?
राम जाने ?
किंतु आंसू !!!
ये क्या बात हुई ? ये भी कोई खरीदने की चीज़ है क्या ?
मैंने उसे आवाज दी ,वो १६- १७ साल का अपटूडेट सा दिखने वाला लड़का था|
मैंने उससे पूछा ?
आंसू बेचते हो ,ये तो मैंने पहले कभी नही सुना ?
भाई आंसू तो इन्सान की भावनाओ से जुड़े है वो तो अपने आप ही आँखों से बरस पड़ते है रही बात नकली आंसुओ की तो फिल्मो में दूरदर्शन में रात दिन देखते है है उसके लिए तो बरसों से ग्लिसरीन इस्तेमाल होता है|
तुम ये कैसे आंसू बेचते हो ?
अरे आंटीजी आप देखिये तो ?मेरे पास कई तरह के आंसू है ,आप ग्लिसरीन को जाने दीजिये वो तो परदे की बात है
ये तो जीवन से जुड़े है यह कहकर उसने एक छोटासा पेटी नुमा बैग निकाला उसमे छोटी छोटी शीशियाँ  रंग बिरगी
थी उसमे आंसू भरे थे|
मैंने फ़िर उसकी चुटकी ली बिसलेरी का पानी भर लाये हो और आंसू कहकर बेचते हो ?
उसने अपने चुस्त दुरुस्त अंदाज में कहा -देखिये ये सुनहरी शीशी में वो आंसू हैं जो लडकियां  (दुल्हन)आजकल अपनी बिदाई पर नही बहाती क्योकि उनका मेकअप खराब होता है !इस शीशी को दुल्हन के सामान के साथ सजाकर रख दो
लेबल लगाकर जब कभी उसे मायके की याद आएगी तो ये शीशी देखकर उसकी आँखों में आंसू आ जायेंगे  उसने बहुत ही आत्म विश्वास से कहा|
मैंने कहा -पर मेरी तो कोई लड़की नही है|
उसने तपाक से कहा -बहू तो होगी ? फट से उसने बैंगनी  रंग की शीशी निकाली  और कहा उसके लिए लेलो उसे भी तो अपने मायके की याद आती होगी ?

अच्छा छोड़ो बताओ और कौन कौन से आंसू हैं  ?
ये देखिये: उसने गहरे नीले रंग की शीशी निकली और कहने लगा इसमे बम धमाको में मरने वालो के रिश्तेदारों के
आंसू है जो सिर्फ़ राज नेता ही खरीदते हैं |
ये फिरोजी रंग की शीशी में दंगे में मरने वालो के अपनों के आंसू है जो सिर्फ़ डॉन खरीदते हैं |
ये हरे रंग की शीशी के आंसू उन औरतों  के हैं  जो बेवजह रोती हैं  ?इन्हें समाज  सेवक खरीदते हैं ? 
मै स्तब्ध थी1
मुझे चुप देखकर उसने दुगुने उत्साह से बताना शुरू किया -देखिये `ये पीले और नारगी रंग की शीशी के आंसू है
जो ज्ञान देते है ईश्वर से प्रेम करते है ये सिर्फ़ प्रवचन देने वाले साधू महात्मा ही खरीदते हैं |
और ये जो लाल रंग की शीशी में है ये तो चुनावो के समय हमारे देश में बहुत बिकता है क्योकि इसे हर राजनीतिक  पार्टी का बन्दा खरीदता है|
मैंने एक सफेद खाली शीशी की तरफ इशारा किया इसमे तो कुछ भी नही है ?
उसने कहा -इसमें  वे आंसू हैं  जो लोग पी जाते हैं  इन्हें  कोई नही खरीदता|
फिर वह कई रंग के आंसू बताता रहा|
मै सुस्त हो रही थी अचानक पूछ बैठी ?
अच्छा इनके दाम तो बताओ ?
उसने कहा - दाम की क्या बात है पहले इस्तेमाल तो करके देखिये अगर फायदा होता है तो दो आंसू दे देना,

मेरे स्टॉक में इजाफा हो जावेगा ................................

1 comment:

  1. Bahut Khoob......mere paas koi shabd nahin hain iss ki taareef ke liye simply too good...keep it up

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